
पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस पार्टी को एक एआई जनरेटेड वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से हटाने का निर्देश दिया। यह वीडियो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां हीराबेन मोदी के बीच एक काल्पनिक बातचीत को दर्शाता है। कोर्ट ने इस वीडियो को प्राइवेसी और गरिमा के अधिकारों का उल्लंघन बताया।
अभिनय चीफ जस्टिस पी बी बजंथरी और जस्टिस आलोक कुमार सिन्हा की पीठ ने यह अंतरिम आदेश दिया। यह आदेश 15 सितंबर को विवेकानंद सिंह की जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पारित किया गया।
कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी, फेसबुक, एक्स प्लेटफॉर्म और गूगल को नोटिस भी जारी किए। इस मामले में सभी पक्षों से जवाब मांगा गया है।
बिहार में कांग्रेस के राज्य इकाई द्वारा इस वीडियो को साझा किए जाने के बाद एक राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया। भाजपा नेताओं ने इस वीडियो का कड़ा विरोध किया।
भाजपा नेता प्रदीप भंडारी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने राहुल गांधी के निर्देश पर यह वीडियो बनाया। उन्होंने कहा कि यह देश की माताओं और बहनों का जानबूझकर अपमान है।
पिछले हफ्ते, बिहार कांग्रेस ने अपने एक्स हैंडल पर यह वीडियो पोस्ट किया था। वीडियो के साथ हिंदी में एक संदेश था – साहब के सपनों में आई मां, देखिए रोचक संवाद।
वीडियो में पीएम मोदी की मां को उनकी राजनीति की आलोचना करते हुए दिखाया गया है। यह वीडियो 36 सेकंड का है और इसे एआई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके बनाया गया है।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह के वीडियो से व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन होता है। मृतक व्यक्ति की छवि का इस तरह का इस्तेमाल अनुचित है।
यह मामला डिजिटल युग में privacy के अधिकारों पर महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है। technology के दुरुपयोग से समाज में गलत संदेश जाता है।
राजनीतिक दलों को technology का इस्तेमाल सकारात्मक तरीके से करना चाहिए। ऐसे विवादास्पद content से बचना चाहिए जो समाज में तनाव पैदा कर सकता है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की भी जिम्मेदारी है कि वे ऐसे content पर नजर रखें। उन्हें गलत information फैलाने से रोकना चाहिए।
यह केस technology और कानून के बीच के relationship को दर्शाता है। डिजिटल युग में नए कानूनी मुद्दे सामने आ रहे हैं।
न्यायालयों को technology से जुड़े नए मामलों का समाधान खोजना होगा। privacy के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
इस फैसले से technology के दुरुपयोग पर अंकुश लगेगा। यह डिजिटल ethics के महत्व को रेखांकित करता है।
सभी राजनीतिक दलों को इस मामले से सीख लेनी चाहिए। technology का इस्तेमाल responsibility के साथ करना चाहिए।