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नई दिल्ली में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना फिलहाल संभव नहीं है।
उन्होंने बताया कि पेट्रोल और डीजल पर वर्तमान में केंद्रीय उत्पाद शुल्क और वैट लगता है।
इन दोनों पेट्रोलियम उत्पादों से राज्यों और केंद्र सरकार को भारी राजस्व प्राप्त होता है।
अग्रवाल ने कहा कि राजस्व पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए इन्हें जीएसटी में शामिल करना संभव नहीं है।
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते कहा था कि केंद्र सरकार ने जानबूझकर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी परिषद के प्रस्ताव में शामिल नहीं किया।
वित्त मंत्री ने कहा कि कानूनी तौर पर केंद्र तैयार है लेकिन यह फैसला राज्यों को लेना है।
सीतारमण के अनुसार जीएसटी लागू होने के समय भी पेट्रोल और डीजल पर चर्चा हुई थी।
उन्होंने कहा कि स्वर्गीय अरुण जेटली भी इस बारे में बात करते थे।
राज्यों की सहमति के बाद परिषद में कर की दर तय की जाएगी।
फैसला लेने के बाद इसे अधिनियम में शामिल किया जाएगा।
जुलाई 2017 में लागू हुए जीएसटी में पेट्रोल, डीजल और अल्कोहलिक पेय पदार्थों को शामिल नहीं किया गया था।
तब से ये उत्पाद जीएसटी के दायरे से बाहर हैं।
राजस्व का मुद्दा इन्हें जीएसटी में शामिल करने में सबसे बड़ी बाधा है।
केंद्र और राज्य दोनों ही इन उत्पादों से मिलने वाले राजस्व पर निर्भर हैं।
इसलिए जीएसटी में शामिल करने का फैसला लेना आसान नहीं है।