
छठ पूजा के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी भक्तों और व्रतधारियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने इस पवित्र पर्व में भाग लेने वाले हर देशवासी को बधाई देते हुए कहा कि चार दिनों के इस अनुष्ठान में हमने छठ पूजा की महान परंपरा के दिव्य स्वरूप का साक्षात्कार किया।
चार दिनों की भक्ति और उपवास के बाद मंगलवार सुबह छठ पूजा संपन्न हुई। दिवाली के बाद हर साल मनाए जाने वाले इस त्योहार का उद्देश्य सूर्य देव और छठी मैया के आशीर्वाद के लिए कृतज्ञता व्यक्त करना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट लिखकर कहा कि आज सुबह भगवान सूर्य को प्रार्थना अर्पित करने के साथ छठ महापर्व का मंगलमय समापन हुआ। उन्होंने कहा कि इस चार दिवसीय अनुष्ठान में हमने छठ पूजा की गौरवशाली परंपरा के दिव्य रूप का दर्शन किया।
सभी भक्तों और व्रतधारियों के साथ-साथ इस पवित्र पर्व का हिस्सा रहे सभी परिवारजनों को हार्दिक बधाई। छठी मैया की अनंत कृपा सदैव आपके जीवन को आलोकित करती रहे।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार आमतौर पर दिवाली के छह दिन बाद आता है और चार दिनों तक चलता है।
उत्सव की शुरुआत नहाय खाय से होती है और समापन उषा अर्घ्य के साथ होता है। नहाय खाय के दिन भक्त पवित्र स्नान करके सादा भोजन तैयार करते हैं।
दूसरे दिन खरना पर सुबह से शाम तक दिनभर का उपवास रखा जाता है। शाम को रसिया और रोटी का प्रसाद बनाकर व्रत का समापन किया जाता है।
तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दी जाती है और इस दिन से निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। यह व्रत चौथे दिन की सुबह तक चलता है जब उषा अर्घ्य दी जाती है।
मान्यता है कि छठ पूजा की शुरुआत प्राचीन काल में हुई थी। किंवदंती के अनुसार भगवान राम और देवी सीता ने अयोध्या वापसी के बाद पहली छठ पूजा की थी।
उन्होंने सूर्य देव से समृद्धि का आशीर्वाद पाने के लिए यह पूजा की थी। यह हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है।
छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाई जाती है। यह नेपाल के कुछ हिस्सों और दुनिया भर में भारतीय समुदायों द्वारा भी मनाया जाता है।
मंगलवार की सुबह से ही भक्त उषा अर्घ्य देने के लिए नदी तटों पर एकत्र होने लगे थे। बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र से आई तस्वीरों में महिलाएं ठंडे पानी में खड़ी दिखाई दीं।
सूर्योदय के समय वे गहरी भक्ति में डूबी हुई थीं। उनके चेहरे पर आस्था और उल्लास साफ झलक रहा था। यह दृश्य वास्तव में मन को छू लेने वाला था।
पूरा वातावरण भक्तिमय और आध्यात्मिक हो उठा था। भक्तों की आस्था और समर्पण देखते ही बनता था।
सूर्य देव को अर्घ्य देते समय लोगों के मुखमंडल पर अपार श्रद्धा और विश्वास दिखाई दे रहा था। यह पर्व सचमुच भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा का प्रतीक है।










