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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने पासवान को सामाजिक न्याय का प्रतीक बताया जो जनसेवा के लिए समर्पित थे।
यह उनकी पांचवीं पुण्यतिथि का अवसर था। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह बिहार के लोकप्रिय नेता थे। उन्होंने समाज के वंचित और शोषित वर्गों के कल्याण के लिए हमेशा काम किया।
मोदी ने जोर देकर कहा कि उनका राजनीति और राष्ट्र निर्माण में योगदान सदैव याद रखा जाएगा। पासवान दलित समुदाय से ताल्लुक रखते थे और बिहार के क्षेत्रीय सत्ताधारी थे।
उनका राजनीतिक सफर पांच दशक से भी अधिक लंबा था। इस दौरान उन्होंने सभी पार्टियों में दोस्त बनाए रखे।
उनकी व्यापक जनसमर्थन ने उन्हें विरोधी गठबंधनों के लिए आकर्षण का केंद्र बना दिया। यह विशेष रूप से तब हुआ जब उन्होंने जनता दल छोड़कर 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की।
पासवान ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए को छोड़कर 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के साथ हाथ मिलाया। वह अपनी मृत्यु तक मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री रहे।
अब उनके पुत्र और लोकसभा सांसद चिराग पासवान सरकार में मंत्री हैं। वह बिहार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बने हुए हैं।
बिहार में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चिराग पासवान की भूमिका इन चुनावों में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
राम विलास पासवान का राजनीतिक जीवन अनुकरणीय रहा है। उन्होंने हमेशा सामाजिक न्याय के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।
उनकी विरासत आज भी बिहार की राजनीति में जीवित है। पासवान ने दलित समुदाय के उत्थान के लिए लगातार संघर्ष किया।
उनकी राजनीतिक सूझबूझ और जनकनेक्शन ने उन्हें विशेष पहचान दिलाई। वह किसी भी गठबंधन में शामिल होने पर सदैव प्रभावी रहे।
पासवान के कार्यों ने भारतीय राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी है। उनके योगदान को देश लंबे समय तक याद रखेगा।
उनके परिवार ने उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया है। चिराग पासवान अब उनके मिशन को जारी रखे हुए हैं।
बिहार की राजनीति में पासवान परिवार का प्रभाव आज भी कायम है। आने वाले चुनावों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।