
Rishabh pant
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के वाइस कप्तान ऋषभ पंत ने चौथे टेस्ट के दूसरे दिन टूटी हुई दाएं पैर की चोट के बावजूद बल्लेबाजी करने का साहसिक फैसला लिया। पूर्व भारतीय क्रिकेटर संजय मंजरेकर ने इस पल को अगले 50 साल तक याद रखने लायक बताया।
गुरुवार को पंत, जो पहले दिन चोट की वजह से रिटायर्ड हर्ट हो गए थे, दूसरे दिन लंगड़ाते हुए मैदान में उतरे तो दर्शकों ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। उन्होंने 75 गेंदों की शानदार पारी खेलते हुए 54 रन बनाए, जो टेस्ट क्रिकेट में उनका 18वां अर्धशतक था।
मंजरेकर ने कहा, “जब हमने उन्हें गौतम गंभीर से बात करते देखा और वह अपने सफेद ड्रेस में थे, तो हमने सोचा कि वह शायद पारी के अंत में आएंगे। लेकिन वह अगले विकेट के बाद मैदान में आ गए। वह चोटिल हैं, लेकिन इस खिलाड़ी को कभी कम मत समझो।”
उन्होंने आगे कहा, “भले ही उन्हें बताया जाए कि वह अपने पैर नहीं हिला सकते, फिर भी वह अपनी शानदार आंख और हाथ के समन्वय से खेल को नियंत्रित कर सकते हैं। इंग्लैंड को चिंतित होना चाहिए कि ऋषभ पंत वापस आ गए हैं, भले ही वह स्पष्ट रूप से दर्द में हैं।”
मंजरेकर ने इस घटना की तुलना अनिल कुंबले के जबड़े पर पट्टी बांधकर गेंदबाजी करने से की। उन्होंने कहा, “ऐसे पल इतिहास में दर्ज होते हैं, जिन्हें दशकों तक याद रखा जाता है। यह दिखाता है कि वह भारत के लिए खेलने के लिए कितने उत्सुक हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “इंग्लैंड में टेस्ट क्रिकेट का एक अलग ही जादू है। यहां एक क्रिकेटर को जितना ध्यान मिलता है, वह कहीं और नहीं मिलता। शायद यही वजह है कि पंत ने वाइट बॉल क्रिकेट की तुलना में टेस्ट क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने का मन बना लिया है।”
पंत के अलावा, सई सुदर्शन ने 61 और यशस्वी जायसवाल ने 58 रन की पारी खेलकर भारत को पहली पारी में 358 रन बनाने में मदद की। मंजरेकर ने कहा, “यह एक ऐसी कहानी है जिसे मैं हमेशा अपने साथ लेकर चलूंगा। यह भारतीय टीम दो वरिष्ठ बल्लेबाजों के बिना खेल रही है चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे जैसे अनुभवी खिलाड़ी टीम में नहीं हैं, फिर भी उन्होंने इस सीरीज में लगभग 750 ओवर बल्लेबाजी की है।”
उन्होंने आगे कहा, “लगभग कोई अनुभव न होने के बावजूद इस टीम ने जबरदस्त संयम और अनुशासन दिखाया है। यह इस समूह की भूख और परिपक्वता को दर्शाता है।”










