
राजद ने बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के कारणों का विश्लेषण करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। यह बैठक सोमवार को पटना में आयोजित की गई है जिसमें नवनिर्वाचित विधायकों और वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया।
इस बैठक की अध्यक्षता तेजस्वी प्रसाद यादव ने की, जो इंडिया गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे। बैठक में चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों को विशेष जिम्मेदारी दी गई है।
एक वरिष्ठ राजद नेता ने बताया कि कम मतों से चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों को बैठक के लिए विशेष कार्य सौंपे गए हैं। यह बैठक पार्टी के जमीनी स्तर को मजबूत करने पर भी विचार करेगी।
राजद प्रवक्ता चित्रांगन गगन ने कहा कि चुनाव परिणामों के बाद समीक्षा बैठक करना कोई नई बात नहीं है। हर पार्टी चुनाव के बाद अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करती है।
बिहार विधानसभा में राजद की सीटें घटकर 25 रह गई हैं। पार्टी अब तीसरे स्थान पर आ गई है जबकि 2020 के चुनाव में यह सबसे बड़ी पार्टी थी।
इस बार राजद को 23 प्रतिशत वोट शेयर मिला है जो पिछले चुनाव के 23.11 प्रतिशत से थोड़ा कम है। 2020 के चुनाव में पार्टी को 243 सदस्यीय विधानसभा में 75 सीटें मिली थीं।
भाजपा 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। जदयू को 85 सीटें मिली हैं जबकि राजद को केवल 25 सीटें प्राप्त हुई हैं।
एनडीए ने बिहार विधानसभा में तीन-चौथाई बहुमत हासिल किया है। गठबंधन को कुल 202 सीटें मिली हैं जबकि विपक्षी महागठबंधन को केवल 35 सीटें प्राप्त हुई हैं।
एलजेपी आरवी को 19 सीटें मिली हैं जबकि कांग्रेस को 6 सीटें प्राप्त हुई हैं। एआईएमआईएम को 5 सीटें मिली हैं और हम को भी 5 सीटें मिली हैं।
आरएलएम को 4 सीटें मिली हैं जबकि सीपीआई एमएल को 2 सीटें प्राप्त हुई हैं। आईआईपी, सीपीआई एम और बीएसपी को एक-एक सीट मिली है।
बैठक में पार्टी के भविष्य की रणनीति पर भी चर्चा हुई। नेताओं ने जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के तरीकों पर विचार किया।
चुनावी विश्लेषण के साथ-साथ पार्टी संगठन को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया। नेताओं ने अगले चुनावों की तैयारी शुरू करने पर सहमति जताई।
बैठक में उपस्थित सभी नेताओं ने एकजुटता का प्रदर्शन किया। पार्टी के भविष्य को लेकर सकारात्मक माहौल देखने को मिला।
राजद नेता अब अगले चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं। पार्टी जल्द ही नई रणनीति के साथ आगे बढ़ेगी।










