
नई दिल्ली में वैज्ञानिकों के एक समूह ने रविवार को जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की हिरासत की निंदा की। उन्होंने तत्काल रिहाई की मांग करते हुए सरकार से अपील की।
ब्रेकथ्रू साइंस सोसाइटी (बीएसएस) ने केंद्र सरकार से लद्दाख के लोगों की चिंताओं को हल करने का आग्रह किया। संगठन ने नाजुक पर्यावरण की सुरक्षा के लिए संवाद शुरू करने पर जोर दिया।
लद्दाख में राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल होने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन हुए। इन घटनाओं में चार लोगों की मौत हो गई।
दंगों में शामिल होने के आरोप में 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया। वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया और राजस्थान के जोधपुर जेल में रखा गया।
बीएसएस ने याद दिलाया कि वांगचुक ने मार्च 2024 में 21 दिन की जलवायु अनशन किया था। उन्होंने लेह से दिल्ली तक पैदल मार्च करके हिमालय की जलवायु संवेदनशीलता पर ध्यान खींचा था।
इन शांतिपूर्ण कार्यों से उनकी अहिंसक प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है। बीएसएस के बयान के अनुसार वांगचुक ने 24 सितंबर 2025 की हिंसक घटनाओं में कोई भूमिका नकारी है।
वैज्ञानिक समुदाय ने सरकार से लद्दाख के मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने का आह्वान किया। उनका मानना है कि संवाद से ही समाधान संभव है।
लद्दाख का पर्यावरणीय संतुलन बेहद नाजुक है। वांगचुक का आंदोलन इसी संरक्षण के लिए समर्पित रहा है।
हिरासत में लिए गए सभी लोगों के मामले की निष्पक्ष जांच की मांग उठ रही है। स्थानीय लोग अपने अधिकारों की रक्षा चाहते हैं।
बीएसएस ने शांतिपूर्ण विरोध के महत्व पर प्रकाश डाला। संगठन ने कहा कि लोकतांत्रिक माध्यमों से ही मुद्दों का समाधान होना चाहिए।
वांगचुक के समर्थक उनकी रिहाई के लिए देशभर में आवाज उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी उनके समर्थन में अभियान चल रहे हैं।
लद्दाख के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। स्थानीय समुदाय अपनी संस्कृति और पर्यावरण की सुरक्षा चाहता है।
सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच संवाद की कमी से स्थिति और जटिल हो रही है। दोनों पक्षों के बीच विश्वास का अभाव है।
वैज्ञानिक समुदाय की यह पहल शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। उम्मीद है कि सरकार इस पर गंभीरता से विचार करेगी।










