
चेन्नई: एशियाई बाज़ारों में मज़बूती और अमेरिकी टैरिफ डेडलाइन से पहले बेहतर वैश्विक भावना के साथ भारतीय बाज़ारों ने मंगलवार को थोड़ी तेज़ी के साथ शुरुआत की। सेंसेक्स ने शुरुआती कारोबार में 118 अंकों की बढ़त के साथ 83,724 के स्तर पर कारोबार किया, वहीं निफ्टी 50 ने 18 अंकों की बढ़ोतरी के साथ 25,535 का आंकड़ा छू लिया।
यह सकारात्मक शुरुआत एमएससीआई एशिया एक्स जापान इंडेक्स में 0.6% की बढ़त और वॉल स्ट्रीट पर अमेरिकी व्यापार वार्ता में प्रगति की उम्मीदों के साथ मज़बूत समापन का परिणाम थी। इस बीच, तेल की कीमतों में ओपेक+ द्वारा उत्पादन बढ़ाने की उम्मीदों के चलते गिरावट दर्ज की गई, जो भारत के लिए एक राहत भरी खबर है जो कच्चे तेल के आयात पर अधिक निर्भर है।
अमेरिकी डॉलर ने प्रमुख आर्थिक आंकड़ों और राष्ट्रपति ट्रम्प के राजकोषीय सुधारों पर होने वाले वोट से पहले नरमी दिखाई, जिसने भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को भी सहारा दिया।
घरेलू मोर्चे पर, भारत अमेरिका व्यापार वार्ता में सफलता की उम्मीदों ने निवेशकों को सपोर्ट दिया। निवेशक 9 जुलाई की डेडलाइन से पहले किसी भी समाधान पर नज़र गड़ाए हुए हैं।
फोकस वाले शेयरों में अपोलो हॉस्पिटल्स ने अपने डिजिटल हेल्थ और फार्मेसी यूनिट को अगले 18 21 महीनों में स्पिन ऑफ और लिस्टिंग की योजना की खबर के बाद शुरुआती कारोबार में 4% से अधिक की बढ़त दर्ज की। पैरेंट कंपनी नए एंटिटी में 15% हिस्सेदारी बनाए रखने की योजना बना रही है।
बाज़ार विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक और घरेलू कारकों का संयोजन भारतीय शेयर बाज़ारों के लिए अनुकूल माहौल बना रहा है। निफ्टी का 25,500 से ऊपर बने रहना और सेंसेक्स का 83,700 के स्तर को पार करना तेज़ी के संकेत दे रहा है।
हालांकि, निवेशकों को जुलाई में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं जैसे कॉर्पोरेट आय सीजन और बजट के बाद के प्रभावों पर भी नज़र रखनी होगी। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में उतार चढ़ाव और वैश्विक आर्थिक स्थितियां भी भारतीय बाज़ारों को प्रभावित कर सकती हैं।
अपोलो हॉस्पिटल्स जैसी कंपनियों में दिख रही तेज़ी से साफ पता चलता है कि निवेशक रणनीतिक व्यापार निर्णयों और विकास की योजनाओं को सकारात्मक रूप से ले रहे हैं। यह ट्रेंड आने वाले दिनों में और कंपनियों के लिए भी जारी रह सकता है।