
वरिष्ठ कांग्रेस नेता शकील अहमद ने बिहार चुनाव के तुरंत बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने फैसले का कारण पार्टी में मौजूदा नेतृत्व से मतभेद बताया।
शकील अहमद ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में यह फैसला साझा किया। उन्होंने बताया कि यह निर्णय उनके लिए बेहद मुश्किल भरा रहा।
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह यह फैसला पहले ही ले चुके थे। लेकिन उन्होंने चुनाव प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार किया।
उनका मानना था कि चुनाव से पहले यह कदम गलत संदेश भेज सकता था। वह नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से पार्टी को哪怕 एक वोट भी कम मिले।
शकील अहमद ने अपने इस्तीफे में स्पष्ट किया कि उनकी आस्था पार्टी के सिद्धांतों में बनी हुई है। लेकिन वर्तमान नेतृत्व से मतभेदों के कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
बिहार की राजनीति में शकील अहमद एक महत्वपूर्ण चेहरा रहे हैं। उनके इस फैसले ने राज्य की राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है। बिहार में पार्टी पहले से ही चुनौतियों का सामना कर रही थी।
शकील अहमद के इस्तीफे ने राज्य की राजनीति में नए सवाल खड़े कर दिए हैं। विश्लेषकों का मानना है कि इससे कांग्रेस की स्थिति और कमजोर हो सकती है।
पार्टी में मतभेदों की यह घटना देश भर के राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है। कई लोग इसे कांग्रेस के लिए चिंता का संकेत मान रहे हैं।
शकील अहमद ने अपने लंबे राजनीतिक करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उनके अनुभव और नेतृत्व को पार्टी के लिए महत्वपूर्ण माना जाता था।
बिहार चुनाव के तुरंत बाद आया यह इस्तीफा राज्य की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। अब देखना होगा कि इसके बाद की राजनीतिक दिशा क्या होती है।
शकील अहमद के इस कदम ने कांग्रेस पार्टी के भीतर हो रही आंतरिक बहसों को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। यह पार्टी के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय साबित हो रहा है।










