
सुप्रीम कोर्ट 27 अक्टूबर को दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश मामले में आरोपियों की जमानत याचिकाएं सुनने जा रहा है। इनमें गुलफिशा फातिमा, शरजील इमाम, मीरान हैदर, उमर खालिद, शिफा उर रहमान और मोहम्मद सलीम खान शामिल हैं।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजरिया की पीठ दिवाली की सात दिन की छुट्टियों के बाद इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ये सभी छात्र हैं और पांच साल से जेल में हैं। शरजील इमाम ने 6 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका यूएपीए के तहत खारिज कर दी थी। उमर खालिद ने भी 10 सितंबर को हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार इमाम को जनवरी 2020 में बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था। उन पर जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है।
फरवरी 2020 के ये दंगे नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़के थे। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए।
अधिकारियों का दावा है कि इमाम ने व्यापक हिंसा की साजिश रची थी। उनके खिलाफ कई राज्यों में कई एफआईआर दर्ज की गई हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 सितंबर को खालिद और इमाम सहित नौ आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं। अदालत ने हिंसा की साजिशी प्रकृति का हवाला दिया था।
उमर खालिद एक सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व जेएनयू छात्र हैं। वह 14 सितंबर 2020 से यूएपीए के तहत जेल में हैं।
खालिद ने दंगों में किसी भी तरह की भागीदारी से इनकार किया है। उनका मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है।
इस मामले में नताशा नरवाल, देवांगना कलिता, सफूरा जरगर और ताहिर हुसैन जैसे अन्य आरोपी भी शामिल हैं।
इन सभी पर कड़े कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी की नजरों में होगा।
यह मामला देश की न्यायिक प्रक्रिया की एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा। पूरा देश 27 अक्टूबर की सुनवाई का इंतजार कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ इस मामले में क्या फैसला सुनाती है यह देखना दिलचस्प होगा। सभी आरोपी लंबे समय से जेल में बंद हैं।
न्यायिक प्रक्रिया अपनी गति से आगे बढ़ रही है। हर पक्ष अपने अपने तर्कों के साथ अदालत में पेश होगा।




