
चेन्नई। साल 2020 में जब पूरी दुनिया कोविड महामारी से जूझ रही थी, महाराष्ट्र के जालना जिले की एक शांत स्वभाव की लड़की ने पहली बार धनुष उठाया था। उस समय वह महज 13 साल की थी और 18 किलोग्राम वजनी यह धनुष उसके लिए कोई चुनौती नहीं थी। आर्चरी के इस खेल में मशीनी पहलुओं ने उसे आकर्षित किया था। शायद उस वक्त उसे अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि सिर्फ पांच साल बाद वह विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली होगी। यह लड़की है तेजल साल्वे, जो देश की एक उभरती हुई कंपाउंड आर्चर है।
17 साल की इस प्रतिभा ने शनमुखी नागा साई और तनीष्का निलकुमार के साथ मिलकर आर्चरी एशिया कप लेग 2 में महिला कंपाउंड टीम इवेंट के क्वालीफिकेशन राउंड में यू-21 विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया। उन्होंने 2101 अंक हासिल किए, जबकि इससे पहले यह रिकॉर्ड भी भारतीयों के नाम था जिसे 2023 में 2076 अंकों के साथ बनाया गया था। तेजल और उनकी टीम ने इस टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल भी जीता।
तेजल के इस सफर की शुरुआत महामारी के दौरान हुई थी जब सब कुछ थम सा गया था। लेकिन इस युवा प्रतिभा ने मुश्किल हालात को अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया। उसने धनुष उठाया, निशाना साधा और आज वह देश के लिए गौरव बन चुकी है।
कंपाउंड आर्चरी एक ऐसा खेल है जिसमें धनुर्धर को तकनीक और सटीकता दोनों का संतुलन बनाना पड़ता है। तेजल ने महज कुछ वर्षों के अभ्यास से ही इस खेल में महारत हासिल कर ली है। उसकी इस उपलब्धि ने साबित कर दिया है कि अगर इरादे मजबूत हों तो उम्र कोई मायने नहीं रखती।
Tejal Salveऔर उनकी टीम का यह प्रदर्शन भारतीय आर्चरी के उज्जवल भविष्य की ओर इशारा करता है। खासकर जब से इस खेल में भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनानी शुरू की है। युवा प्रतिभाओं का यह समूह देश के लिए और भी बड़े मुकाम हासिल कर सकता है।
Tejal Salve की यह कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को जीने का साहस रखते हैं। जालना जैसे छोटे शहर से निकलकर विश्व स्तर पर रिकॉर्ड बनाने तक का उसका सफर वाकई प्रशंसनीय है। अब सभी की निगाहें इस युवा धनुर्धर पर टिकी हैं कि वह भविष्य में और क्या कर दिखाती है।