
बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही भाजपा नीत एनडीए के केंद्रीय मंत्री राज्य भर में चुनावी मुहिम तेज करने जा रहे हैं। यह अभियान अक्टूबर के पहले सप्ताह से शुरू होगा और मंत्रियों को चार-पांच विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी जाएगी।
सूत्रों के अनुसार दो अक्टूबर से मंत्री एनडीए के एजेंडे को आगे बढ़ाने और उम्मीदवारों के लिए जनसमर्थन जुटाने में जुट जाएंगे। वे स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ मिलकर मतदाताओं को एनडीए के पक्ष में लाने का प्रयास करेंगे।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय नेतृत्व और स्थानीय मतदाताओं के बीच मजबूत संबंध स्थापित करना है। साथ ही बिहार के विकास के प्रति भाजपा की प्रतिबद्धता को फिर से रेखांकित करना है।
मंत्री बड़े रैलियों में हिस्सा लेंगे और आम जनता से सीधा संवाद स्थापित करेंगे। वे मोदी सरकार की उपलब्धियों और सामाजिक-आर्थिक विकास योजनाओं को चुनावी मंच से उजागर करेंगे।
एक पार्टी सूत्र ने बताया कि वरिष्ठ नेताओं की जमीनी स्तर पर उपस्थिति से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पार्टी की पकड़ मजबूत होगी। विशेष रूप से विपक्षी विधायकों वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
उन चुनावी क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जहां 2020 के चुनाव में भाजपा या उसके सहयोगी थोड़े अंतर से हार गए थे। ऐसे लगभग 50-60 सीटें चिन्हित की गई हैं।
दक्षिण बिहार और सीमांचल क्षेत्र की सीटों पर विशेष जोर दिया जाएगा। हालांकि 2020 में भाजपा ने सीमांचल में कई सीटें जीती थीं, इस बार 24 सीटों में से 60 प्रतिशत से अधिक जीतने का लक्ष्य है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास परियोजनाओं जैसे पूर्णिया एयरपोर्ट ने इस क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव डाला है। इसका चुनावी लाभ उठाने की पूरी तैयारी है।
एनडीए नेतृत्व ने जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर भी अपनी चुनावी रणनीति तैयार की है। विभिन्न जाति समुदायों वाले क्षेत्रों के लिए विशेष मंत्रियों को तैनात किया जाएगा।
यादव, मुस्लिम, पसमांदा मुस्लिम और ईबीसी/ओबीसी समुदायों की substantial आबादी वाले इलाकों में मंत्रियों की तैनाती की जाएगी। इससे विभिन्न सामाजिक समूहों तक पार्टी का संदेश सीधे पहुंचेगा।
स्थानीय नेताओं के साथ समन्वय से चुनावी मैदान में एकजुटता का प्रदर्शन होगा। यह रणनीति पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करेगी।
मंत्रियों की सक्रिय भागीदारी से एनडीए के उम्मीदवारों को बढ़त मिलने की उम्मीद है। वे सरकारी योजनाओं के बारे में लोगों को सीधे जानकारी दे सकेंगे।
चुनावी दौरे के दौरान मंत्री स्थानीय मुद्दों को भी समझेंगे और उनके समाधान का आश्वासन देंगे। इससे मतदाताओं के बीच विश्वास पैदा करने में मदद मिलेगी।
बिहार की राजनीति में इस चुनावी रणनीति के महत्वपूर्ण परिणाम सामने आ सकते हैं। मंत्रियों की सीधी भागीदारी से चुनावी माहौल और गर्म होगा।