
उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार, 2 सितंबर 2025 को एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए आउटसोर्स सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के गठन को मंजूरी दे दी है। यह कदम राज्य में आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता, जवाबदेही और कर्मचारी-हितैषी माहौल लाने के लिए उठाया गया है। यह कॉर्पोरेशन अब आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति तीन साल के लिए करेगा, जिसमें उन्हें 16,000 रुपये से 20,000 रुपये तक का मासिक मानदेय मिलेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में इस महत्वपूर्ण निर्णय पर मुहर लगी। सरकार का मानना है कि यह कदम आउटसोर्सिंग सेवाओं में व्याप्त अनियमितताओं को खत्म करेगा और लाखों कर्मचारियों के जीवन को बेहतर बनाएगा।
पहले क्या होता था?
पहले, आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती के लिए सरकार के पास कोई अपनी एजेंसी नहीं थी। यह काम निजी एजेंसियों के माध्यम से होता था। इस प्रक्रिया में अक्सर अनियमितताओं की शिकायतें आती थीं। कर्मचारियों को पूरा मानदेय नहीं मिलता था और सामाजिक सुरक्षा लाभ जैसे भविष्य निधि (EPF) और राज्य बीमा (ESI) भी नहीं दिए जाते थे। कई बार ऐसा भी हुआ कि एजेंसियों ने कर्मचारियों के हक का पैसा खुद रख लिया।
एक नई और पारदर्शी सुबह
अब यह नया कॉर्पोरेशन क्या करेगा? कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत स्थापित यह कॉर्पोरेशन एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में काम करेगा। इसका मतलब है कि यह लाभ कमाने के बजाय सेवा पर ध्यान केंद्रित करेगा। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अब विभिन्न विभाग सीधे आउटसोर्सिंग एजेंसियों का चयन नहीं कर पाएंगे। इसके बजाय, यह नया कॉर्पोरेशन सरकारी ई-मार्केटप्लेस पोर्टल के माध्यम से एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाकर एजेंसियों को सूचीबद्ध करेगा। यह यूपी में आउटसोर्सिंग के हर पहलू को नियंत्रित करेगा, जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
वित्तीय मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया, “पहले एजेंसियां कर्मचारियों को पूरा मानदेय देने में विफल रहती थीं और अक्सर अनिवार्य EPF और ESI योगदान की उपेक्षा करती थीं। यह कदम अनियमितताओं को खत्म करेगा और हर कर्मचारी को उसके बकाए की गारंटी देगा।” यह बयान इस बात पर जोर देता है कि यह कॉर्पोरेशन यूपी में आउटसोर्सिंग सेक्टर में एक मील का पत्थर साबित होगा।
कर्मचारियों को सीधा लाभ
नए सिस्टम के तहत, कर्मचारियों के बैंक खातों में वेतन हर महीने की 1 से 5 तारीख के बीच सीधे ट्रांसफर किया जाएगा। इसके साथ ही, कर्मचारियों के भविष्य निधि (EPF) और राज्य बीमा (ESI) का योगदान भी नियमित रूप से किया जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि कर्मचारियों को उनका पूरा हक मिले और कोई भी एजेंसी उनके पैसों की हेराफेरी न कर सके। यूपी में आउटसोर्सिंग के नए नियम कर्मचारियों के लिए बेहद फायदेमंद हैं।
आरक्षण का विस्तार और अन्य लाभ
सरकार ने यह भी बताया कि नए ढांचे के तहत, अनुसूचित जाति (SCs), अनुसूचित जनजाति (STs), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBCs), आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), दिव्यांगजन, पूर्व सैनिक और महिलाओं को संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार आरक्षण मिलेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि समाज के सभी वर्गों को आउटसोर्सिंग के अवसरों में उचित प्रतिनिधित्व मिले।
महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश का भी अधिकार होगा, जो उनके परिवार के लिए एक बड़ी राहत है। इसके अलावा, सभी कर्मचारियों को अपने कौशल को बढ़ाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण मिलेगा। यह न केवल उनकी व्यक्तिगत विकास में मदद करेगा, बल्कि राज्य की सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार करेगा। यदि सेवाकाल के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उनके परिवार को 15,000 रुपये की अंतिम संस्कार सहायता भी प्रदान की जाएगी। यह कदम सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है और कर्मचारियों के परिवारों को मुश्किल समय में सहारा देगा। यूपी में आउटसोर्सिंग अब केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि एक सुरक्षित भविष्य का वादा है।
यह निर्णय उत्तर प्रदेश में श्रम सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम है और यह सुनिश्चित करेगा कि आउटसोर्स कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों के समान सम्मान और अधिकार मिलें। यह यूपी में आउटसोर्सिंग प्रक्रियाओं को मजबूत करेगा और कर्मचारियों के कल्याण को सुनिश्चित करेगा।