
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सोमवार को वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इससे युवा पीढ़ी इस राष्ट्रगीत के महत्व को बेहतर ढंग से समझेगी। उन्होंने कहा कि इस गीत ने सभी स्वतंत्रता सेनानियों में देशभक्ति की भावना जगाई थी।
पासवान ने कहा कि यह अवसर न केवल एक ऐतिहासिक पड़ाव है बल्कि अगले 150 वर्षों की मजबूत नींव रखता है। उन्होंने एएनआई से बातचीत में यह बात कही।
उन्होंने आगे कहा कि यह चर्चा आज के समय में बहुत जरूरी है। इससे देश के युवाओं को अपनी विरासत और इतिहास का ज्ञान मिलेगा।
चिराग पासवान ने यह भी बताया कि एनडीए के सभी घटक दलों के सांसदों ने एकमत से बिहार में एनडीए की जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया।
शिव सेना यूबीटी की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने संसद में वंदे मातरम् पर व्यापक चर्चा की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का इस पर चर्चा करना एक अच्छी बात है।
चतुर्वेदी ने कहा कि वंदे मातरम् और जय हिंद दो ऐसे नारे हैं जो देश की संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हुए हैं। उन्होंने एक पुरानी घटना का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि वही सरकार जिसने राज्यसभा में इन नारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का नोटिफिकेशन जारी किया था, अब जब इन पर चर्चा करती है तो यह हास्यास्पद लगता है।
प्रियंका चतुर्वेदी ने आशा व्यक्त की कि यह चर्चा पश्चिम बंगाल के चुनाव को ध्यान में रखकर कोई एजेंडा न बन जाए। उन्होंने कहा कि चर्चा राजनीति से ऊपर उठकर देश को प्राथमिकता देने वाली होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चर्चा में हिस्सा लिया। इस चर्चा में इस ऐतिहासिक गीत के कई महत्वपूर्ण और कम ज्ञात पहलुओं को छुआ गया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी उच्च सदन में चर्चा की शुरुआत करने की उम्मीद है। इस विशेष चर्चा के तहत वंदे मातरम् के कई आवश्यक और कम ज्ञात ऐतिहासिक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया।
भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को लोकसभा में इस बहस में हिस्सा लेने के लिए तीन घंटे का समय आवंटित किया गया है। पूरी चर्चा के लिए कुल दस घंटे निर्धारित किए गए हैं।
यह बहस मंगलवार को उच्च सदन यानी राज्यसभा में भी होगी। इस तरह संसद के दोनों सदनों में इस ऐतिहासिक राष्ट्रगीत पर गहन चर्चा हो रही है।
यह चर्चा देश के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह नई पीढ़ी को अपने राष्ट्रीय प्रतीकों से जोड़ने का एक प्रयास है।
वंदे मातरम् का गीत भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का एक अभिन्न अंग रहा है। इसकी धुन और शब्दों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया है।
संसद में इस तरह की चर्चाएं देश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्यों को संजोने का काम करती हैं। यह युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़े रखने में मदद कर सकती हैं।
राष्ट्रगीत का सम्मान और उसका महत्व समझाना हर नागरिक का कर्तव्य है। संसद में यह चर्चा इस दिशा में एक सार्थक कदम साबित हो सकती है।










