
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने सीएम निवास पर ईद मिलन की परंपरा समाप्त करने का फैसला सार्वजनिक किया।
यह बात उन्होंने आरएसएस के शताब्दी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि इस फैसले का उद्देश्य देश की धर्मनिरपेक्ष स्थिति का पालन करना है।
योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया कि सीएम निवास या राजभवन में दीवाली या होली मिलन कार्यक्रम भी नहीं होते। उनका कहना था कि हर कोई इन कार्यक्रमों को अपने स्तर पर आयोजित करने के लिए स्वतंत्र है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि जब वह सीएम बने तो उन्होंने यह प्रणाली देखी। उन्होंने कहा कि सीएम निवास और राजभवन में केवल ईद मिलन कार्यक्रम ही आयोजित होते थे।
उन्होंने फैसला किया कि अगर भारत की परंपराओं को धर्मनिरपेक्ष स्थिति दी गई है तो सीएम निवास और राजभवन को भी इसका पालन करना चाहिए। इसलिए अब कोई भी ऐसा आयोजन नहीं किया जाएगा।
योगी आदित्यनाथ ने हिंदू त्योहारों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि यहां हमारे त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। हर महीने कोई न कोई त्योहार आता रहता है।
उन्होंने कहा कि हमारे हर त्योहार की जड़ें परंपरा और इतिहास में हैं। हमारे ऋषियों ने उन्हें सांस्कृतिक और धार्मिक रूप दिया ताकि कोई भी व्यक्ति इन्हें मना सके।
लोग आपसी सम्मान के साथ त्योहार मनाते हैं लेकिन हमें शायद ही कभी उन्हें एक साथ आते देखने को मिलता था।
मुख्यमंत्री ने आरएसएस के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत का सौभाग्य है कि उसके पास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसा संगठन है।
उन्होंने कहा कि आरएसएस ने देश के नक्सल प्रभावित इलाकों में सरकार से बेहतर काम किया है। पूरी दुनिया देख रही है कि एक आरएसएस स्वयंसेवक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व कर रहा है।
अयोध्या में राम मंदिर के बारे में बात करते हुए योगी ने कहा कि 5-7 साल पहले कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के लोग पूछते थे कि क्या अयोध्या में राम मंदिर बन पाएगा। हम और संघ के स्वयंसेवक कहते थे कि यह निश्चित रूप से बनेगा।
उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों को जेल में डाला गया, लाठीचार्ज किया गया और गोली मारी गई। आज परिणाम हमारे सामने है कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का निर्माण हो चुका है।
योगी आदित्यनाथ ने हलाल प्रमाणन लेबल पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे मिलने वाला पैसा आतंकवाद, लव जिहाद और धर्म परिवर्तन के लिए दुरुपयोग किया जाता था।
उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में कोई भी हलाल प्रमाणित उत्पाद खरीदने या बेचने की हिम्मत नहीं करेगा। जब हमने कार्रवाई शुरू की तो पता चला कि देश में हलाल प्रमाणन से 25,000 करोड़ रुपये कमाए जा रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हलाल प्रमाणन के नाम पर भारतीय उपभोक्ताओं का शोषण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने बलरामपुर में जलालुद्दीन की गिरफ्तारी का उदाहरण दिया।
उन्होंने सवाल किया कि राजनीतिक इस्लाम के बारे में कोई चर्चा क्यों नहीं होती। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने भी राजनीतिक इस्लाम के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।