
मुंबई में 18 जून को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार को चुनौती दी कि वह अपने निर्णय को लागू करें, जिसमें हिंदी को 1 से 5 कक्षा के लिए मराठी और हिंदी माध्यम के स्कूलों में तीसरी भाषा बनाने का प्रस्ताव है। उन्होंने साफ कहा कि ‘हिंदी का थोपना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’
राज ठाकरे ने अपनी बात रखते हुए पूछा, ‘क्या यह सब राज्य के महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए किया जा रहा है?’ साथ ही उन्होंने राज्य के पत्रकारों और लेखकों से अपील की कि इस निर्णय के खिलाफ कमजोर शब्दों में न बोलें।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह निर्णय लागू किया गया तो जल्द ही मराठी भाषा का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और हमारी संस्कृति भी खत्म हो जाएगी। महाराष्ट्र के लोग इस कदम का विरोध करें। सभी स्कूलों को सरकार के इस फैसले का विरोध करना चाहिए। राज ठाकरे ने कहा कि अगर सरकार इसे चुनौती समझती है, तो इसे चुनौती के रूप में लेना चाहिए।
महायुति सरकार ने एक प्रस्ताव में कहा है कि हिंदी तीसरी अनिवार्य भाषा नहीं होगी, लेकिन अगर कोई छात्र अन्य भारतीय भाषा चुनता है, तो उस भाषा को पढ़ाने के लिए कक्षा में कम से कम 20 छात्रों का होना आवश्यक है। इस पर भी राज ठाकरे ने कड़ी आपत्ति जताई और पूछा कि ‘सरकार हिंदी को थोपने की कोशिश क्यों कर रही है?’
उन्होंने मीडिया को बताया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें आश्वासन दिया था कि हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा नहीं बनाया जाएगा। राज ठाकरे ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश या बिहार में तीसरी भाषा कौन सी होगी? केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्य सरकार को नीतियों का निर्धारण करना है, तो फिर महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य क्यों बनाया जा रहा है?
उन्होंने गुजरात का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ हिंदी अनिवार्य नहीं है, जबकि अमित शाह और नरेंद्र मोदी केंद्र में हैं। फिर महाराष्ट्र में हिंदी को क्यों अनिवार्य किया जा रहा है? कक्षा 6 से हिंदी का विकल्प है, फिर इसे कक्षा 1 से क्यों प्रारंभ किया जा रहा है? क्या इस तरह के निर्णय IAS अधिकारियों के लिए हिंदी बोलने में सहूलियत प्रदान करने के लिए हैं?
राज ठाकरे ने स्कूलों के प्रमुखों को एक पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया कि वे सरकार के इस प्रयास को विफल करें। उन्होंने कहा कि यह न केवल बच्चों के लिए हानिकारक है, बल्कि मराठी भाषा के लिए भी। उन्होंने कहा कि सरकार ऊपर से आए आदेशों का अनुसरण करती है, लेकिन स्कूलों को इस दबाव में नहीं आना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘अगर आप सरकार के आदेश का पालन करने के लिए मजबूर हैं, तो हम आपके साथ खड़े रहेंगे।’ एक अच्छे नागरिक के रूप में केवल एक राज्य और एक विश्व भाषा सीखना बेहतर है, इससे ज्यादा क्यों सीखना?’
राज ठाकरे ने यह भी कहा कि एक राजनीतिक उद्देश्य के तहत कुछ लोग महाराष्ट्र को अपने वश में करना चाहते हैं और इससे बचने के लिए हमें सतर्क रहना होगा। बच्चों को जब बड़े होने पर अपनी आवश्यकता के अनुसार कोई भी भाषा सीखने का मौका मिलेगा, तो उन पर अबसे बोझ क्यों बनाना चाहिए? अगर आप सरकार की योजनाओं का विरोध करते हैं, तो हम आपके साथ खड़े रहेंगे। उन्होंने स्कूल के प्रमुखों को चेतावनी दी कि इस भाषा थोपने के खिलाफ महाराष्ट्र में बढ़ते असंतोष को ध्यान में रखें।
राज ठाकरे के इस हमले ने निश्चित रूप से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है, और लोग उनके इस विचार को लेकर सजग हो रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार अपने निर्णय पर अडिग रहती है या राज ठाकरे के विरोध को देखते हुए अपने फैसले को बदलती है।