
नई दिल्ली: इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का बाजार दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी कई खरीदारों को इनकी बैटरी लाइफ को लेकर शंका बनी हुई है। पारंपरिक इंटरनल कंबस्चन इंजन (ICE) वाले वाहनों के मुकाबले इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी कितने समय तक चलेगी, यह सवाल अब तक एक पहेली बना हुआ था। लेकिन अब एक नए अध्ययन ने इसका जवाब दे दिया है।
यूके स्थित वाहन टेलीमैटिक्स कंपनी Geotab के एक हालिया अध्ययन के मुताबिक, आधुनिक इलेक्ट्रिक वाहन पेट्रोल या डीजल से चलने वाली गाड़ियों से ज्यादा समय तक चल सकते हैं। शोध में पाया गया है कि कई EV बैटरी 20 साल तक प्रभावी ढंग से काम कर सकती हैं और इनमें सालाना गिरावट की दर बहुत कम होती है।
यह निष्कर्ष उस धारणा को चुनौती देता है जिसमें माना जाता था कि EV बैटरी को हर 2-3 साल में बदलना पड़ता है। असल में, अध्ययन के अनुसार ज्यादातर EV बैटरी सालाना सिर्फ 1.8% की दर से डिग्रेड होती हैं, जिससे वे लंबे समय तक उपयोग के लिए उपयुक्त बनी रहती हैं।
कई देशों में वाहनों की औसत आयु EV बैटरी के संभावित जीवनकाल से काफी कम होती है। भारत में, उदाहरण के लिए, एक कार की औसत आयु लगभग 15 साल होती है। लेकिन मौजूदा डेटा के आधार पर, EV बैटरी इससे 5-6 साल अधिक चल सकती हैं, जो उन्हें एक स्मार्ट और टिकाऊ निवेश बनाती हैं।
अध्ययन से पता चलता है कि बैटरी डिग्रेडेशन एक सीधी प्रक्रिया नहीं है। सबसे ज्यादा गिरावट आमतौर पर पहले कुछ सालों में होती है, फिर यह स्थिर हो जाती है और बैटरी के आखिरी सालों में फिर से गिरावट आ सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि EV बैटरी की लाइफ पर कई कारक प्रभाव डालते हैं। बैटरी को सही तरीके से इस्तेमाल करने और उसकी देखभाल करने से इसकी आयु और बढ़ाई जा सकती है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों की दीर्घकालिक विश्वसनीयता को मजबूत करता है।
यह अध्ययन उस आम मिथक का खंडन करता है जिसमें कहा जाता है कि EV बैटरी कम समय तक चलती हैं। बेहतर टेक्नोलॉजी और बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम के साथ, आधुनिक इलेक्ट्रिक वाहन अपनी मजबूती और विश्वसनीयता साबित कर रहे हैं, जो एक पर्यावरण के अनुकूल ऑटोमोटिव भविष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है।