
David Lawrence
नई दिल्ली, 22 जून इंग्लैंड और ग्लॉस्टरशायर के पूर्व तेज़ गेंदबाज डेविड वैलेंटाइन लॉरेंस का 61 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह मोटर न्यूरॉन डिजीज (एमएनडी) से पीड़ित थे।
1988 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने वाले लॉरेंस ने 1988 से 1992 के बीच पांच टेस्ट मैच खेले और 18 विकेट लिए। 1991 में द ओवल में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए मैच में उन्होंने पांच विकेट लिए, जिसमें महान विव रिचर्ड्स का विकेट भी शामिल था।
1992 में न्यूजीलैंड के वेलिंगटन में खेले गए टेस्ट मैच के दौरान उनके घुटने में गंभीर चोट आई, जिसके बाद उनका अंतरराष्ट्रीय करियर अचानक समाप्त हो गया। 2023 में उन्हें मोटर न्यूरॉन डिजीज का पता चला, यह एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो समय के साथ मांसपेशियों को कमज़ोर कर देती है।
ग्लॉस्टरशायर काउंटी क्रिकेट क्लब की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, “हमें दुख के साथ यह घोषणा करनी पड़ रही है कि डेव लॉरेंस एमबीई का एमएनडी से जंग के बाद निधन हो गया। ‘सिड’ क्रिकेट मैदान पर और मैदान के बाहर एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व थे। उनके परिवार के सदस्य उस समय उनके साथ थे जब उनका निधन हुआ।”
28 जनवरी 1964 को जन्मे लॉरेंस ने 1981 में महज़ 17 साल की उम्र में ग्लॉस्टरशायर के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया। उन्होंने ग्लॉस्टरशायर के लिए 170 प्रथम श्रेणी मैच खेले और 477 विकेट लिए, जिसमें वारविकशायर के खिलाफ 7 विकेट शामिल हैं। अपने 16 साल के करियर में वह अपनी निडर तेज़ गेंदबाज़ी के लिए क्लब के आइकन बन गए।
एकदिवसीय क्रिकेट में उन्होंने 110 मैचों में 148 विकेट लिए। 1991 में कॉम्बाइंड यूनिवर्सिटीज XI के खिलाफ उन्होंने महज़ 20 रन देकर 6 विकेट लिए, जो ग्लॉस्टरशायर के 50 ओवर के इतिहास में तीसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
बयान में आगे कहा गया, “ग्लॉस्टरशायर के इस गौरवशाली खिलाड़ी ने हर चुनौती का सामना पूरी ताकत से किया और एमएनडी के खिलाफ उनकी आखिरी लड़ाई भी इसी जज्बे के साथ थी। अंतिम समय तक उन्होंने दूसरों के बारे में सोचा और उन्हें प्रोत्साहित किया। ग्लॉस्टरशायर काउंटी क्रिकेट क्लब के अध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने अपनी भूमिका को बड़े गर्व और जुनून से निभाया। उनकी पत्नी गेनोर और बेटे बस्टर ने सभी का धन्यवाद किया और अब उन्हें निजी तौर पर शोक मनाने का समय देने का अनुरोध किया।”
मैदान के बाहर भी लॉरेंस ने क्रिकेट में विविधता और समावेशन के लिए मजबूती से आवाज़ उठाई। इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले ब्रिटिश-अश्वेत क्रिकेटर के रूप में उन्होंने खेल के भीतर मौजूद बाधाओं को चुनौती दी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित किया।
इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन रिचर्ड थॉम्पसन ने कहा, “डेविड ‘सिड’ लॉरेंस इंग्लिश क्रिकेट के असली ट्रेलब्लेज़र थे। एक तेज़ गेंदबाज के रूप में उन्होंने दर्शकों को अपनी गति और जुनून से मंत्रमुग्ध कर दिया। एक नेता और प्रवक्ता के रूप में उन्होंने बाधाओं को तोड़ा और खेल में समावेशन और प्रतिनिधित्व के लिए मज़बूत आवाज़ बने। अपनी बीमारी के सामने भी उन्होंने अद्भुत साहस और गरिमा दिखाई। उनकी विरासत क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेगी।”