
काजीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व ने एक और उपलब्धि हासिल की है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह पार्क अब दुनिया भर में बाघों के सर्वाधिक घनत्व वाले क्षेत्रों में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। यहां प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में 18 बाघों का घनत्व दर्ज किया गया है।
पार्क निदेशक सोनाली घोष ने बताया कि स्टेटस ऑफ टाइगर्स इन काजीरंगा, 2024 रिपोर्ट के अनुसार, काजीरंगा टाइगर रिजर्व के तीन डिवीजनों में कुल 148 वयस्क बाघ पहचाने गए हैं। यह संख्या 2022 के आंकड़े 104 से काफी अधिक है।
इन 148 बाघों में 83 मादा, 55 नर और 10 बाघों का लिंग निर्धारित नहीं किया जा सका। घोष ने बताया कि पहली बार बिस्वनाथ वन्यजीव डिवीजन का सैंपलिंग किया गया था, जहां 27 बाघ दर्ज किए गए। इससे संख्या में काफी इजाफा हुआ।
कोर ईस्टर्न असम वन्यजीव डिवीजन में बाघों की संख्या 2022 के 104 से बढ़कर 2024 में 115 हो गई है। वहीं नगांव वन्यजीव डिवीजन में बाघों की संख्या स्थिर रही है और यहां 6 बाघ दर्ज किए गए।
बाघों की गिनती के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के फेज IV प्रोटोकॉल के तहत रिमोटली ट्रिगर्ड कैमरा ट्रैप्स का इस्तेमाल किया गया।
घोष के मुताबिक, बाघों की संख्या में यह उत्साहजनक वृद्धि मुख्य रूप से हैबिटेट के विस्तार और सुरक्षा के कारण हुई है। नगांव वन्यजीव डिवीजन के बुरहाचपोरी-लाओखोवा अभयारण्य में 200 वर्ग किलोमीटर का अतिरिक्त क्षेत्र जोड़ा गया है, जिसमें 12.82 वर्ग किलोमीटर अतिक्रमण मुक्त क्षेत्र भी शामिल है।
तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल ने भी वन्यजीव निगरानी और सुरक्षा में क्रांति ला दी है। कैमरा ट्रैप्स के अलावा अब ड्रोन और इंफ्रारेड आधारित इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस सिस्टम (इलेक्ट्रॉनिक आई) रोजमर्रा के कामों का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं।
113 प्रशिक्षित वन दुर्गाओं सहित वन विभाग के अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के साथ साथ सिविल सोसाइटी संगठनों और स्थानीय समुदायों के सक्रिय सहयोग ने ऐतिहासिक डेटा गैप को भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पिछले कुछ वर्षों में काजीरंगा के बाघ मॉनिटरिंग सिस्टम ने लिंग के आधार पर डेटा एकत्र किया है, जिससे रिजर्व के बाघों की जनसांख्यिकी की अधिक सटीक समझ बन पाई है।
घोष ने बताया कि बाघों की संख्या में वृद्धि सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह काजीरंगा के पूरी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और लचीलेपन का संकेत है, जो वनस्पतियों और जीवों की विविध श्रेणियों का समर्थन करता है।
उन्होंने कहा कि इस माइलस्टोन का जश्न मनाने के साथ साथ हम यह भी समझते हैं कि यह जिम्मेदारी भी लाता है। जैव विविधता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना, सामुदायिक भागीदारी को मजबूत करना और संरक्षण पहलों में निवेश जारी रखना बेहद जरूरी है।