Mahakumbh 2025 Sahi bath: शाही स्नान आध्यात्मिक स्नान और सांस्कृतिक उल्लास

Mahakumbh Sahi Bath
महाकुंभ मेला 2025 प्रयागराज में आयोजित होने वाला है, जो अपने आप में एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। यह मेला न केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि पूरे विश्व के श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।
Source-https://kumbh.gov.in/
पौष पूर्णिमा: महाकुंभ का अनौपचारिक शुभारंभ
पौष पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर के अनुसार शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि को आती है और पूर्णिमा के आगमन का प्रतीक है। महाकुंभ मेला का अनौपचारिक उद्घाटन इसी दिन होता है, जो इस भव्य आयोजन की शुरुआत को चिह्नित करता है। इस दिन से कल्पवास की शुरुआत भी होती है, जिसमें तीर्थयात्री गहन आध्यात्मिक साधना और भक्ति में लीन रहते हैं।
पौष पूर्णिमा स्नान: 13 जनवरी 2025
मकर संक्रांति: दान और धर्म का आरंभ
मकर संक्रांति वह दिन है जब सूर्य अपनी अगली खगोलीय स्थिति में प्रवेश करता है। यह दिन महाकुंभ मेला में दान-पुण्य की शुरुआत का प्रतीक है। श्रद्धालु अपनी इच्छा और उदारता के अनुसार दान करते हैं, जिससे इस दिन का धार्मिक और सामाजिक महत्व और बढ़ जाता है।
मकर संक्रांति स्नान: 14 जनवरी 2025
मौनी अमावस्या: मौन का महत्त्वपूर्ण पर्व
मौनी अमावस्या को सबसे शुभ दिन माना जाता है, जब तीर्थयात्री पवित्र नदी में स्नान करते हैं। यह दिन ऋषभ देव द्वारा अपने मौन व्रत को तोड़ने और संगम में स्नान करने के पौराणिक संदर्भ से जुड़ा है। मौनी अमावस्या पर सबसे अधिक संख्या में श्रद्धालु कुंभ मेला में आते हैं, जिससे यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है।
मौनी अमावस्या स्नान: 29 जनवरी 2025
बसंत पंचमी: ज्ञान और ऋतु परिवर्तन का उत्सव
बसंत पंचमी ऋतुओं के परिवर्तन का प्रतीक है और देवी सरस्वती के आगमन का उत्सव है। इस दिन कल्पवासी पीले वस्त्र पहनते हैं, जो इस शुभ अवसर का महत्त्व दर्शाता है। यह दिन ज्ञान और विद्या के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
बसंत पंचमी स्नान: 3 फरवरी 2025
माघी पूर्णिमा: गुरुओं की वंदना का पर्व
माघी पूर्णिमा गुरु बृहस्पति की पूजा और गंधर्व के स्वर्ग से संगम पर आने की मान्यता के साथ जुड़ी है। इस दिन पवित्र घाटों पर तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो इस विश्वास से प्रेरित होते हैं कि इस शुभ क्षण में उनकी उपस्थिति उन्हें स्वर्गीय मार्ग की ओर ले जाएगी।
माघी पूर्णिमा स्नान: 12 फरवरी 2025
महाशिवरात्रि: कल्पवासियों का अंतिम स्नान
महाशिवरात्रि का दिन कल्पवासियों के लिए अंतिम पवित्र स्नान का प्रतीक है और यह भगवान शिव के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। इस दिन की प्रतीक्षा स्वर्ग में भी उत्सुकता से की जाती है।
महाशिवरात्रि स्नान: 26 फरवरी 2025
महाकुंभ 2025 के ये पावन पर्व न केवल धार्मिक स्नान के महत्व को दर्शाते हैं, बल्कि वे सांस्कृतिक उत्सव और सामूहिक भक्ति के भी प्रतीक हैं। प्रत्येक दिन की अपनी विशिष्टता है, जो तीर्थयात्रियों के लिए एक अनूठा आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है।