PM Modi :Responsibility of all of us to keep Pali language alive

(ANI photo)PM Modi :Responsibility of all of us to keep Pali language alive
प्राचीन धरोहर और आधुनिक विकास: सारनाथ में पाली भाषा और बौद्ध धरोहर का संरक्षण
पाली भाषा, जो प्राचीन काल से बौद्ध धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का अहम हिस्सा है। यह भाषा विशेष रूप से थेरवाद बौद्ध परंपरा में उपयोग की जाती है और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को संरक्षित करने के लिए जानी जाती है। पाली में लिखित बौद्ध धर्मग्रंथ त्रिपिटक आज भी बुद्ध के मूल उपदेशों के सबसे निकट माने जाते हैं। पाली भाषा का उदय प्राचीन भारत की प्राकृत भाषाओं से हुआ और इसे बुद्ध के समय में आम जनता के बीच इस्तेमाल किया जाता था।
पाली भाषा का महत्व केवल प्राचीन ग्रंथों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आज भी बौद्ध धर्म के अनुयायियों और विद्वानों के लिए एक पवित्र भाषा है। इसे बौद्ध धर्म के अध्ययन और ध्यान में उपयोग किया जाता है, खासकर थेरवाद परंपरा में, जो मुख्य रूप से श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार और भारत में फैली हुई है।
इस धरोहर को संरक्षित करने के साथ ही, देश विकास की नई राह पर भी आगे बढ़ रहा है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि 20 अक्टूबर को वे वाराणसी का दौरा करेंगे, जहां सारनाथ में विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। सारनाथ वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, और यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है। इस अवसर पर, पीएम मोदी ने कहा, “हम अपने अतीत की रक्षा कर रहे हैं और साथ ही नई विरासतों का निर्माण कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा, “देश अब आत्म-सम्मान, आत्म-विश्वास, और आत्म-गौरव के साथ आगे बढ़ रहा है, और हीनभावना से मुक्त हो रहा है।” प्रधानमंत्री ने बुद्ध के उपदेशों का संदर्भ देते हुए कहा कि आने वाले 25 वर्ष भारत के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण समय होंगे, जिसे बौद्ध सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया जाएगा।
यह कार्यक्रम न केवल भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को महत्व देता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि भारत आने वाले समय में शांति, ज्ञान, और करुणा के मूल्यों के साथ एक समृद्ध और सामंजस्यपूर्ण भविष्य की ओर बढ़ रहा है।