
टाटा मोटर्स ने मंगलवार को कहा कि चीन द्वारा rare-earth मैग्नेट्स पर लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों के बावजूद कंपनी ने अभी तक कोई ‘पैनिक बटन’ दबाने की ज़रूरत महसूस नहीं की है। कंपनी इनकी आपूर्ति के लिए वैकल्पिक स्रोत तलाश रही है।
टाटा मोटर्स के मुख्य वित्तीय अधिकारी पीबी बालाजी ने मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘फिलहाल हमें कोई चिंता नहीं है क्योंकि आपूर्ति सही ढंग से हो रही है। उत्पादन में किसी तरह की कटौती नहीं की गई है और न ही अभी ऐसी कोई योजना है।’
उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी वैकल्पिक तकनीकों सहित अन्य स्रोतों पर भी विचार कर रही है।
चीन द्वारा rare-earth निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों ने वैश्विक ऑटो उद्योग को प्रभावित किया है। कई कंपनियों ने आपूर्ति में भारी कमी की आशंका जताई है।
Rare-earth मैग्नेट्स का उपयोग वाहनों में विंडशील्ड वाइपर मोटर्स से लेकर एंटी लॉक ब्रेकिंग सेंसर्स तक में किया जाता है।
भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने rare-earth की कमी के कारण अपनी इलेक्ट्रिक वाहन ई-विटारा के उत्पादन लक्ष्य में दो तिहाई की कटौती कर दी है। इसकी जानकारी रॉयटर्स ने इसी महीने दी थी।
इससे पहले टाटा मोटर्स ने जेएलआरवी (जैगुआर लैंड रोवर) के साथ मिलकर यूके में एक इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी प्लांट स्थापित करने की योजना की घोषणा की थी। यह प्लांट यूरोपीय बाजार के लिए बैटरी की आपूर्ति करेगा।
ऑटो उद्योग में rare-earth की आपूर्ति को लेकर बढ़ती चिंता के बीच टाटा मोटर्स का यह बयान थोड़ी राहत देने वाला है। हालांकि कंपनी ने भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए वैकल्पिक स्रोतों की तलाश जारी रखी है।