Petrol Vs Electric Vehicle: कौन सी है बेहतर मिडिल इनकम लोगों के लिए?

petrol vs EV
भारत में मिडिल इनकम ग्रुप यानी 25,000 से 60,000 रुपये महीने कमाने वाले लोग, जब गाड़ी खरीदते हैं, तो सबसे पहले दो बात सोचते हैं:
“बजट में हो और चलाने में सस्ती हो।”
अब सवाल है – Petrol Car लें या Electric Vehicle (EV)?
EV के फायदे – For Middle-Income Buyers:
- Running Cost बहुत कम: EV चलाने का खर्च सिर्फ ₹1 से ₹1.5/km है।
- सरकारी सब्सिडी और टैक्स बेनिफिट: FAME-II जैसे स्कीम से EV सस्ते में मिलते हैं।
- मेंटेनेंस भी कम: No engine oil, clutch, etc., hence long-term खर्च बहुत कम।
- फ्यूल का टेंशन नहीं: चार्ज करिए घर पर और चलाइए।
❌ EV की प्रॉब्लम्स:
- Initial Cost ज्यादा: ₹8–₹12 लाख तक की एंट्री लेवल EV मिलती है।
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड है: हर छोटे शहर या गांव में चार्जिंग पॉइंट नहीं।
- बूट स्पेस और फीचर्स लिमिटेड हो सकते हैं budget EVs में।
Petrol Car:
फायदे:
- कम प्राइस पर ज्यादा वैरायटी: ₹6–₹8 लाख में कई अच्छे ऑप्शन।
- टेंशन-फ्री फ्यूलिंग: हर जगह पेट्रोल पंप उपलब्ध है।
- सर्विसिंग और रिपेयर आसान है: ज्यादा सर्विस सेंटर और पार्ट्स मिल जाते हैं।
- Used Cars का ऑप्शन भी खुला है: ₹3–₹6 लाख में बहुत बढ़िया 2nd hand options।
नुकसान:
- पेट्रोल महंगा है: ₹100+/litre = ₹6–₹9/km का खर्च।
- मेंटेनेंस कॉस्ट हाई: सालाना ₹8,000 से ₹15,000 तक खर्च।
मिडिल इनकम लोगों के लिए, गाड़ी खरीदना एक बड़ा investment होता है। इसलिए सोच समझ कर चुनना चाहिए:
🔹 EVs – Future-ready, low cost, but initial price ज्यादा।
🔹 Petrol – सस्ते में मिलती है, लेकिन महंगे फ्यूल के साथ हर महीने की जेब पर बोझ डालती है।
आपका budget, आपका usage और आपका location (city/town/village) – ये तीन चीज़ें मिलकर तय करेंगी कौन सी गाड़ी सही है आपके लिए।
👉 अगर आप शहर में रोज 30–40km ड्राइव करते हैं और घर या ऑफिस में चार्जिंग की सुविधा है, तो EV long-term में सस्ती पड़ेगी।
👉 लेकिन अगर आपकी सैलरी ₹40,000 से कम है और आप EMI में लोन लेकर कार ले रहे हैं, तो एक Petrol Car या CNG Car ज्यादा स्मार्ट चॉइस हो सकती है।